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पं. जवाहरलाल नेहरू स्नातकोत्तर महाविद्यालय

संक्षिप्त इतिहास


महाविद्यालय की स्थापना वर्ष १९६४ ई. में प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुण्य स्मृति में हुई, जिसका श्रेय श्री राजकुमार भार्गव, आई.ए.एस., तत्कालीन जिलाधिकारी-बाँदा, स्वर्गीय सेठ हरिकृष्ण, पी.सी.एस., तत्कालीन सचिव, प्रबंध समिति एवं नगर के प्रबुद्ध नागरिकों को है। महाविद्यालय को भवन निर्माण हेतु भूमि बाँदा के शिक्षाप्रेमी नागरिक स्वर्गीय श्री केशवचंद्र सिंह चौधरी, स्वर्गीय श्री चंद्रभूषण सिंह व स्वर्गीय कुँवर आनंददेव सिंह द्वारा दानस्वरुप प्रदान की गई। प्रारंभ में यह महाविद्यालय आगरा तथा कानपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध था, वर्तमान में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी से संबद्ध है। महाविद्यालय में सहशिक्षा की समुचित व्यवस्था है।

सन् १९६४ में महाविद्यालय बी.ए. स्तर से प्रारंभ हुआ एवं सन् १९६६ में गणित वर्ग तथा १९६८ में जीवविज्ञान वर्ग में बी.एस-सी. की कक्षाएँ प्रारंभ हुईं। सन् १९६९ में महाविद्यालय में स्नातकोत्तरकक्षाएँ प्रारंभ हुईं। सर्वप्रथम हिंदी साहित्य, अंग्रेजी साहित्य व समाजशास्त्र में स्नातकोत्तरकक्षाओं की मान्यता प्राप्त हुई। इसी सत्र में बुंदेलखंड क्षेत्र में बी.एड. कक्षाएँ प्रारंभ करने का गौरव महाविद्यालय को प्राप्त हुआ। शैक्षणिक विकास के इसी क्रम में सन् १९७० में अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र तथा गणित, सन् १९८० में इतिहास, सन् १९९३ में वनस्पतिविज्ञान एवं रसायनविज्ञान, सन् १९९६ में एम.एड. एवं सन् १९९७ में जंतुविज्ञान की स्नातकोत्तरकी कक्षाएँ प्रारंभ हुईं। यू.जी.सी. द्वारा महाविद्यालय में बी.एस-सी. स्तर पर औद्योगिक सूक्ष्मजैविकी (Industrial Microbiology) का व्यावसायिक पाठ्यक्रम (Vocational Course) सन् १९९८ से प्रारंभ करने की स्वीकृति प्रदान की गई। वर्तमान में भूगोल, संस्कृत में एम.ए., प्रतिरक्षा अध्ययन में एम.ए./एम.एस-सी., भौतिकविज्ञान, औद्योगिक सूक्ष्मजैविकी (Industrial Microbiology)में एम.एस-सी. एवं अन्य रोजगारपरक पाठ्यक्रमों हेतु प्रयास किए जा रहे हैं। आशा है कि शीघ्र ही इन कक्षाओं को खोलने की अनुमति शासन/विश्वविद्यालय से प्राप्त हो जाएगी। महाविद्यालय को राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, इलाहाबाद एवं इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU), नई दिल्ली के अध्ययन-केंद्रों की मान्यता भी प्राप्त है।

महाविद्यालय के पास दो प्रांगण हैं, जिन्हें ’पुराना भवन’ तथा ’नया भवन’ कहा जाता है। महाविद्यालय की शुरुआत पुराने भवन से ही हुई थी। दोनों भवन एक-दूसरे से लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। पुराना भवन रोडवेज बस-स्टैंड के पास है और नया भवन जिलाधिकारी-आवास मार्ग के आगे स्थित है। पुराने भवन में शिक्षकशिक्षा विभाग के अंतर्गत बी.एड. की कक्षाएँ तथा नए भवन में प्रशासनिक भवन, पुस्तकालय भवन एवं बी.ए., बी.एस-सी. व एम., एम.एस-सा. की कक्षाएँ संचालित होती हैं।

The college was established on 9th August 1964 in the memory of late Pt. Jawaharlal Nehru, the first Prime Minister of independent India. The industrious efforts of the then District Magistrate Shri Raj Kumar Bhargava, I.A.S. and some local intectual personalities including late Shri Seth Hari Krishan, P.C.S. have initiated the Himalayan work to enlighten the local youths through higher education. The land for the college was donated by late Shri Keshav Chandra Singh Chaudhary, late Shri Chandra Bhushan Singh Chaudhary and late Shri Kunwar Anand Dev Singh. At the time of start, the college was affiliated by the Agra University, then Kanpur University in 1967 and now under Bundelkhand University, Jhansi.

From the initial stage the college was having only Arts Faculty with under-graduate classes in B.A. In the year 1966 the Science Faculty with B.Sc. in Maths. Group and in 1968 Bio. Group was started. In the same year under-graduate classes in Geography and Defence Studies were started. In the year 1969 the Faculty of Education was started with B.Ed. classes. In 1969 the post-graduate courses in English, Hindi and Sociology and in the next year the P.G. courses in Economics, Political Science and Mathematics were started. Similarly in 1980 the P.G. course in History, in 1993 P.G. in Chemistry and Botany, in 1996 P.G. courses in Zoology and Education (M.Ed.), and in 1998 B.Sc. course in Industrial Microbiology were initiated. Presently the college is trying to start P.G. courses in Geography, Sanskrit, Defence Studies, Physics and Industrial Microbiology. The college also initiating to start vocational-professional courses like B.B.A.,B.C.A. and certificate in Tourism, G.I.S. and Remote-Sensing.


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